







भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले के संगरिया कस्बे में कचरा निस्तारण की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। हालात इतने बिगड़ गए कि नवरात्रि जैसे शुभ अवसर पर भी लोगों का आक्रोश फूट पड़ा और सोमवार यानी 22 सितंबर को कस्बे के लोगों ने चक्काजाम कर दिया। सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने वाले लोगों ने साफ कहा कि अब वे और गंदगी सहन नहीं करेंगे। गली-गली में फैले कचरे और प्रशासन की चुप्पी ने आमजन का जीना मुहाल कर दिया है।

चक्काजाम की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे विधायक अभिमन्यु पूनिया ने भी जनता के साथ खड़े होते हुए प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि कचरा निस्तारण की जिम्मेदारी नगरपालिका और प्रशासन दोनों की है, लेकिन दोनों ही हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। यही कारण है कि आज जनता को सड़कों पर उतरना पड़ा।

विधायक ने जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव पर सीधे निशाना साधते हुए कहा कि वे एसी रूम से बाहर निकलें और हकीकत देखें। वे जनता की सेवा करने आए हैं, आराम करने नहीं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कलक्टर न तो अतिवृष्टि के दौरान गांवों में पहुंचे और न ही अब आंदोलनरत प्रतिनिधियों से बातचीत करने की जहमत उठा रहे हैं।

नगरपालिका चेयरमैन सुखवीर सिंह सिद्धू भी विधायक की आलोचना के घेरे में आए। विधायक पूनिया ने कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार होती तो जनता की आवाज न सुनने वाले ऐसे चेयरमैन को हटाने में एक पल की देरी नहीं होती। अब जब भाजपा की सरकार है, तो भाजपा नेताओं को इस बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।

विधायक का कहना था कि जब जनता की आवाज को दबाया जाएगा और समस्याओं को अनदेखा किया जाएगा, तो जनाक्रोश स्वाभाविक है। उन्होंने चेयरमैन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि नगरपालिका कस्बे की सबसे बुनियादी जिम्मेदारी तक निभाने में नाकाम रही है।

विधायक ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे संगरिया की जनता के साथ जिला कलक्टर कार्यालय जाकर कचरा डालेंगे। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक स्वार्थ का नहीं, बल्कि जनता की पीड़ा का है। जब गली-गली में कचरे के ढेर और बदबू से जीवन दूभर हो जाए, तो आंदोलन ही आखिरी रास्ता बचता है।

पार्षद राजेश डोडा ने कहाकि कचरा निस्तारण की समस्या अब केवल स्वच्छता का मुद्दा नहीं रह गई, बल्कि यह स्वास्थ्य और जनजीवन से जुड़ा संकट बन चुकी है। गली-गली में फैले कचरे से बीमारियों के फैलने का खतरा मंडरा रहा है। नवरात्रि जैसे पावन पर्व पर भी लोग कचरे और गंदगी से त्रस्त होकर घरों से बाहर आए और चक्काजाम कर अपनी नाराजगी जताई।
लोगों का कहना था कि नगरपालिका और जिला प्रशासन दोनों ने आंखें मूंद रखी हैं। कस्बे में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं, लेकिन निस्तारण की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। यही कारण है कि जनता का गुस्सा अब उबाल पर पहुंच गया है।
आंदोलन स्थल पर पूर्व पालिकाध्यक्ष अशोक चौधरी, पार्षद राजेश डोडा सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में प्रशासन को चेताया कि अब समस्या का स्थायी समाधान होना चाहिए। वरना संगरिया से उठी यह आवाज जिला मुख्यालय तक जाएगी और बड़ा आंदोलन खड़ा होगा।

विधायक की मौजूदगी और तीखे बयान से आंदोलन को और धार मिली। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन जनता की नाराजगी और विधायक की चेतावनी के बाद क्या कदम उठाता है। सवाल बड़ा है कि जब स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियान पूरे देश में चल रहे हैं, तो संगरिया जैसे कस्बे में कचरा निस्तारण क्यों नहीं हो पा रहा? क्यों जनता को सड़कों पर उतरने की नौबत आती है? और क्यों जनप्रतिनिधियों को प्रशासन को चेतावनी देनी पड़ती है?


