






भटनेर पोस्ट डेस्क.
आस्था और श्रद्धा के महापर्व शारदीय नवरात्र आज से आरंभ हो गए हैं। इस बार नवरात्र 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक चलेंगे। हर साल आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाले इन पावन दिनों में राजस्थान से लेकर पूरे उत्तर भारत तक घर-घर और मंदिरों में घटस्थापना की जाती है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. नीतीश कुमार वशिष्ठ के अनुसार, प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर की रात 1.23 बजे से प्रारंभ होकर 23 सितंबर को देर रात 2.55 बजे तक रहेगी। कलश स्थापना का सर्वश्रेष्ठ समय अभिजीत मुहूर्त है, जो सुबह 11.49 से दोपहर 12.38 बजे तक रहेगा। इस समय किए गए पूजन को अत्यंत फलदायी माना जाता है।

कलश स्थापना की विधि
घटस्थापना के लिए लकड़ी की चौकी, सात प्रकार के अनाज, मिट्टी का बर्तन, गंगाजल, सुपारी, लौंग, आम के पत्ते, नारियल, लाल कपड़ा और पुष्प आवश्यक होते हैं। मिट्टी के पात्र में अनाज बोकर उसमें कलश स्थापित किया जाता है, जिस पर आम्रपत्र और लाल कपड़े में लिपटा नारियल सजाया जाता है। कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति प्रज्वलित कर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना प्रारंभ होती है।

मां दुर्गा का आगमन हाथी पर
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवी मां हर वर्ष अलग-अलग वाहनों पर विराजमान होकर आती हैं। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आई हैं। हाथी को समृद्धि, ज्ञान और सुख-शांति का प्रतीक माना जाता है। यह संकेत है कि आने वाला समय भक्तों के जीवन में खुशहाली, धन और धैर्य लेकर आएगा।
डॉ. नीतीश कुमार वशिष्ठ के मुताबिक, मां दुर्गा की इस बार की उपासना से केवल मनोकामनाएं ही पूरी नहीं होंगी, बल्कि परिवार और समाज में सुख, शांति और समृद्धि भी स्थापित होगी।






