







डॉ. संतोष राजपुरोहित.
भारत की राजनीति और अर्थव्यवस्था में नरेंद्र मोदी का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। 17 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन देशभर में केवल एक राजनीतिक उत्सव नहीं, बल्कि एक आर्थिक विमर्श का अवसर भी बन गया है। पिछले एक दशक में जिस तरह भारत की आर्थिक दिशा और नीति ढांचे को नई पहचान मिली है, उसे ‘मोडिनॉमिक्स’ के रूप में जाना जाता है। मोडिनॉमिक्स को समझने के लिए इसे केवल आर्थिक नीतियों का संग्रह नहीं माना जा सकता, बल्कि यह विचारधारा है जिसमें विकास, आत्मनिर्भरता, पारदर्शिता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को साथ रखा गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने यह साबित किया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति और नीतिगत नवाचार मिलकर आर्थिक परिवर्तन ला सकते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने कई ऐसे कदम उठाए जिनका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालीन स्थिरता और विकास की ओर ले जाना था।

जन-धन योजना के माध्यम से करोड़ों लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा गया। गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू करके एकीकृत कर प्रणाली की दिशा में कदम बढ़ाया गया। मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया ने उत्पादन और नवाचार को प्रोत्साहन दिया। डिजिटल इंडिया अभियान ने ग्रामीण से शहरी भारत तक डिजिटलीकरण की पहुंच सुनिश्चित की।

कोविड-19 महामारी के समय जब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुई, तब मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान किया। इसका उद्देश्य केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक आत्मनिर्भर और सक्षम राष्ट्र के रूप में स्थापित करना भी था। यह पहल आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल स्तंभ है।

मोडिनॉमिक्स केवल उद्योगपतियों या शहरी भारत तक सीमित नहीं रहा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं लागू की गईं। महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना, गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना और आवास योजनाओं ने अर्थव्यवस्था के सामाजिक आयाम को मजबूत किया।

मोदी की आर्थिक नीतियों ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित किया है। आज भारत जी-20 जैसे मंचों पर नेतृत्वकारी भूमिका निभा रहा है। विदेशी निवेश को आकर्षित करने में भी भारत ने रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की है।
हालाँकि, मोदिनॉमिक्स पूरी तरह निर्विवाद नहीं है। बेरोजगारी, महंगाई और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। लेकिन समर्थकों का मानना है कि यह नीतियाँ दीर्घकाल में ही अपना पूर्ण प्रभाव दिखाएंगी।

मोदी के जन्मदिन पर मोदिनॉमिक्स पर चर्चा केवल एक आर्थिक विश्लेषण नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं की ओर दृष्टिपात है। नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि भारत का विकास केवल सांख्यिकीय आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि जनता की जीवनशैली और अवसरों में वास्तविक सुधार होना चाहिए। आज जब देश मोदी जी का जन्मदिन मना रहा है, तब मोदिनॉमिक्स भारतीय जनता के सपनों को साकार करने की दिशा में एक जीवंत आर्थिक दृष्टिकोण के रूप में स्थापित हो चुका है। यह केवल वर्तमान की कहानी नहीं, बल्कि भविष्य के भारत की आर्थिक गाथा है।
-लेखक भारतीय आर्थिक परिषद के सदस्य हैं



