






भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
हनुमानगढ़ जिले में ओवरलोडिंग का खेल अब बंद होने जा रहा है। लंबे समय से निर्माण कार्यों की धीमी रफ्तार और सामग्री की आपूर्ति में आ रही रुकावटों के बीच प्रशासन ने ओवरलोडेड वाहनों पर नकेल कसने का बड़ा निर्णय लिया है। इस दिशा में अब परिवहन, खनिज और पुलिस विभाग की संयुक्त टीमें नाके लगाकर सख्ती बरतेंगी। प्रशासन का साफ कहना है कि ओवरलोडिंग न केवल सड़कों को बर्बाद करती है बल्कि सरकार को राजस्व की भारी हानि झेलनी पड़ती है। इससे पहले, यूनियन के लीलाधर शर्मा, जुगल राठी, संजीव गोयल, मनोज गोयल, सादुल सिंह रोझ, महेंद्र गोस्वामी, देवीलाल स्वामी, रविंदर धारणिया टिब्बी, राजू पुनिया, महेंद्र नाई, ओम धेतरवाल सहित अन्य ट्रक ऑपरेटर्स ने कलक्टर को ज्ञापन दिया जिसमें ओवरलोडिंग बंद करवाने की मांग की गई। इसके बाद कलक्टर ने उन्हें एडीएम उम्मेदीलाल मीणा के पास रैफर कर दिया था।

दरअसल, कुछ अरसे शहर में निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे थे। प्रशासन ने संबंधित ठेकेदारों से स्पष्टीकरण मांगा तो उनका कहना था कि माल नहीं आ पा रहा, इसलिए निर्माण कार्यों पर विपरीत असर पड़ रहा है। उन्होंने ट्रक विवाद को कारण बताया।
इस पर प्रशासन ने ट्रक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को बुलाकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा।

बैठक में यह तथ्य सामने आया कि ठेकेदारों ने निर्माण सामग्री की आपूर्ति रुकने का कारण ओवरलोडिंग पर रोक को बताया था, जबकि ट्रक यूनियन का कहना था कि माल की आपूर्ति बाधित नहीं है। समस्या केवल यह है कि ट्रक ऑपरेटर्स जिले में अब ओवरलोडेड वाहनों को प्रवेश पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। इस पर प्रशासन और यूनियन प्रतिनिधियों के बीच सहमति बनी कि नियम का पालन सख्ती से किया जाएगा।

ट्रक यूनियन के सुप्रीमो जुगल राठी ने कहा, ‘हम तो नियमों का पालन कर रहे हैं और दूसरों से भी पालन करवाना चाहते हैं। ओवरलोडिंग से न केवल सड़क और वाहन को नुकसान होता है, बल्कि सरकार के राजस्व का भी नुकसान होता है। इसलिए प्रशासन के इस कदम का हम समर्थन करते हैं। हमारे लिए कोई विवाद की स्थिति नहीं है।’

दूसरी ओर, निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों ने अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पूरे राजस्थान में ओवरलोडेड वाहनों का आवागमन जारी है, तो केवल हनुमानगढ़ में ही पाबंदी क्यों लगाई जा रही है। बार-बार कम मात्रा में माल मंगवाने से उनके खर्च में काफी बढ़ोतरी हो रही है। ठेकेदारों का तर्क है कि वे पहले से ही ऊंची बोली लगाकर टेंडर हासिल करते हैं। ऐसे में निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतें और ओवरलोडिंग पर रोक मिलकर उनके नुकसान को और बढ़ा रही हैं। ठेकेदारों का यह भी कहना है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो कोई भी निर्माण एजेंसी आगे से हनुमानगढ़ में काम करने से पहले सौ बार सोचेगी।

पांच जगह होंगे नाके
प्रशासन ने ओवरलोडिंग पर सख्ती के लिए जिले में पांच जगह नाके लगाने का निर्णय लिया है। इनमें पीलीबंगा, चोहिलांवाली, पल्लू, तलवाड़ा झील और मसीतांवाली हेड शामिल हैं। इन स्थानों पर संयुक्त टीमें तैनात की जाएंगी और ओवरलोडेड वाहनों के चालान काटे जाएंगे।

काबिलेगौर है, ओवरलोडिंग को लेकर प्रशासन, ट्रक यूनियन और ठेकेदारों के बीच खिंचाव भले ही बना हुआ है, लेकिन प्रशासन का रुख साफ है कि नियमों से समझौता नहीं होगा। अब देखना होगा कि इस फैसले का जिले के निर्माण कार्यों पर कितना असर पड़ता है और क्या वास्तव में ठेकेदारों की आशंकाएं सच साबित होती हैं या फिर सख्ती से नियम लागू होने के बाद व्यवस्था और पारदर्शी बनती है।


