





भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
घग्घर बहाव क्षेत्र के निरीक्षण और प्रशासन पर तल्ख़ टिप्पणी के बाद हनुमानगढ़ जिला प्रभारी मंत्री सुमित गोदारा का रुख अचानक बदल गया। कुछ मिनट पहले तक जलभराव की निकासी में देरी को लेकर प्रशासन को कठघरे में खड़ा करने वाले मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सामने बिल्कुल अलग ही सुर छेड़ दिए।

पत्रकारों ने जब कलक्टर कार्यालय के सामने जमा तीन फीट पानी और उसकी सप्ताहभर बाद निकासी पर सवाल दागा, तो मंत्री ने प्रशासन की कार्यशैली का बचाव किया। उन्होंने कहा, ‘आप ही कोई तकनीक बताओ जिसमें पानी को तत्काल सुखाने का तरीका हो। नहीं है न? तो जलभराव की स्थिति रहेगी। उसे तकनीकी रूप से ही हटाया जा सकता है और प्रशासन ने मुस्तैदी से यह काम किया।’

मंत्री के इस अचानक बदले हुए जवाब ने पत्रकारों को भी चौंका दिया। सूत्रों का कहना है कि कुछ भाजपा नेताओं ने उन्हें ब्रीफ किया था कि मौजूदा हालात में प्रशासन पर हमला करना सरकार के खिलाफ नाराजगी को और बढ़ा सकता है। खासकर तब, जब घग्घर नदी के खतरे को लेकर जनता पहले से ही सरकार की सुस्ती पर सवाल उठा रही है। ऐसे में अधिकारी पर सीधे दोषारोपण की रणनीति राजनीतिक तौर पर उलटा असर डाल सकती थी।

जानकारों का मानना है कि यही वजह रही कि मंत्री ने पाला बदला और प्रशासन को कठघरे से निकालकर उसके पक्ष में खड़े हो गए। हालांकि, निरीक्षण के दौरान उनकी खीझ साफ झलकी थी, जब उन्होंने तटबंध पर मौजूद अधिकारियों से पूछा, ‘कलक्टर साहब कहां व्यस्त हैं?’ यह बयान साफ इशारा करता है कि मंत्री को इस बात की दिक्कत थी कि कलक्टर निरीक्षण के वक्त उनके साथ क्यों नहीं थे। बस, उसी नाराजगी को उन्होंने कांग्रेस नेता मनीष मक्कासर के कहने पर व्यक्ति किया था। हालांकि मंत्री सुमित गोदारा आनन-फानन दौरा कर प्रस्थान कर गए लेकिन आम जनता में एक सवाल छोडकर गए हैं कि क्या सरकार में सचमुच ‘परिपक्वता’ की कमी है ?






