पंडित नेहरू और हनुमानगढ़

गोपाल झा.
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28 फरवरी 1963 यानी हनुमानगढ़ के लिए ऐतिहासिक दिन। देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू अपनी पुत्री इंदिरा गांधी के साथ आए थे। इलाके के लोगों में पंडित नेहरू के आगमन को लेकर जबदरस्त उत्साह था। हर कोई उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब। दरअसल, भारत-चीन युद्ध के बाद देश की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए आम जन तन, मन और धन से सरकार के साथ खड़े थे।

 हनुमानगढ़ की जनता भी माटी का कर्ज चुकाने के लिए अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार थी। सांसद चौधरी हरिराम मक्कासर की अगुवाई में स्वर्ण आभूषण एकत्रित किए गए। पंडित नेहरू के वजन से ज्यादा स्वर्णाभूषण। फिर इंदिरा गांधी को भी बाकी बचे आभूषणों से तोला गया। दानवीरता के लिए विख्यात राजस्थान के इस छोटे से कस्बे के लोग पंडित नेहरू को प्रभावित कर चुके थे। बताते हैं, पास में खड़े तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया से पंडित नेहरू पूछ बैठे। बकौल पंडित नेहरू, ‘हरिराम चौधरी का बेटा भी राजनीति में है। ऐसे लोगों को मंत्री वगैरह बनाना चाहिए।’ सुखाड़िया झेंप गए। हरिराम चौधरी की तरफ देखकर बोले, ‘इनका बेटा कॉमरेड है, इस वक्त जेल में है।’

दरअसल, चीन युद्ध के दौरान कम्युनिस्टों को संदेह की नजर से देखा जाता था। इसलिए कम्युनिस्ट नेता जेलों में बंद थे। पंडित नेहरू ने सुखाड़िया और हरिराम चौधरी से कहा, ‘तो समझाओ उसे।’ लेकिन सांसद हरिराम चौधरी के इस बेटे जिसे कॉमरेड शोपत सिंह कहते हैं, कौन समझाए।
इस वार्तालाप के बीच दिल्ली से मैसेज आया। पंडित नेहरू विचलित हो गए। उनके माथे पर बेचैनी के भाव थे। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के कान में कुछ कहा। सुखाड़िया ने अफसरों को तलब किया। कुछ देर बाद पंडित नेहरू मंच से उतर कर चले गए। रह गईं इंदिरा गांधी। दरअसल, पंडित नेहरू के पास राष्टपति राजेंद्र प्रसाद के निधन की खबर पहुंच गई थी और वे तत्काल दिल्ली रवाना हो गए थे।
सेमनाला की सौगात
बताते हैं, पंडित नेहरू ने सांसद हरिराम चौधरी से इलाके की समस्या को लेकर पूछा तो उन्हें घग्घर नदी की विभीषिका की जानकारी दी गई। हरिराम चौधरी बोले, ‘घग्घर का पानी बहुत नुकसान करता है। अगर इसे बिखरने दिया जाए तो यह इलाके लिए वरदान बन जाएगा।’ पंडित नेहरू ने समाधान के लिए पूछा तो सेमनाला बनाने का सुझाव आया। कहते हैं, जब अगली बरसात में पानी आया तो सेमनाला बन चुका था। क्षेत्र में खुशहाली का नया द्वार खुल गया था। इस तरह क्षेत्र के लोगों ने देशभक्ति दिखाई, देश के लिए अमूल्य आभूषण दान किए तो तत्कालीन सरकार ने किसानों की ‘बला’ टाल दी।
महिलाओं ने रचा इतिहास
भारतीय महिलाओं में स्वर्ण आभूषणों के प्रति गजब का आकर्षण देखा जाता है। लेकिन जब देश पर विपदा आती है तो महिलाएं अपना सर्वस्व न्यौछावर करने में पीछे नहीं रहतीं। हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर क्षेत्र की महिलाओं ने इसे प्रमाणित कर दिखाया। भारत-चीन युद्ध के बाद जेवरात का मोह त्यागकर महिलाओं ने जो देशभक्ति दिखाई, गौरवशाली इतिहास है। सनद रहे, आजादी मिलने के बाद जब देश आम जनता के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, सड़क, बिजली, रेल, चिकित्सा, शिक्षा व औद्योगिक विकास की तरफ बढ़ने लगा था तभी चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया। देश की वित्तीय स्थिति कमजोर थी। संसाधन का अभाव था। हम युद्ध हार गए थे। आर्थिक रूप से जर्जर हो गए थे। तब सरकार ने लोगों से सहयोग का आग्रह किया तो हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर क्षेत्र के लोगों ने दानवीरता का इतिहास रचने में कोई कसर नहीं छोड़ी।  
-पूर्व जिला प्रमुख राजेंद्र मक्कासर से बातचीत के आधार पर  

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