



भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान में न्यायिक सेवा परीक्षा में एक गुरुसिख छात्रा को धार्मिक प्रतीक ‘कड़ा’ पहनने के कारण परीक्षा में बैठने से रोके जाने की घटना ने एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों को लेकर बहस छेड़ दी है। इस प्रकरण को लेकर श्रीगंगानगर के लोकसभा सांसद कुलदीप इन्दौरा ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर कड़ी नाराजगी जताई है और इसे ‘निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए तत्काल उच्च स्तरीय जांच और आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। पत्र के मुताबिक, जयपुर स्थित पूर्णिमा विश्वविद्यालय में राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा आयोजित की गई थी। परीक्षा के लिए पहुंची एक गुरुसिख छात्रा गुरप्रीत कौर को सिर्फ इस वजह से परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि वह अपनी धार्मिक आस्था के प्रतीक ‘कड़ा’ को उतारने से इनकार कर रही थी। उन्होंने कहा कि यह घटना संविधान के अनुच्छेद 25 में प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
सांसद ने यह भी उल्लेख किया कि पूर्व में राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा और स्वयं राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि गुरुसिख छात्र-छात्राएं अपने धार्मिक प्रतीकों के साथ परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं। ऐसे में इस प्रकार की पुनरावृत्ति, जिला प्रशासन और परीक्षा प्रबंधन की लापरवाही और असंवेदनशीलता को दर्शाती है।
पत्र में सांसद कुलदीप इन्दोरा ने मुख्यमंत्री से पांच मुख्य मांगें रखी हैं। इनमें उक्त घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाने, परीक्षा केंद्र प्रबंधन की जिम्मेदारी तय कर उचित कार्रवाई करने, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने हेतु सभी परीक्षा केंद्रों को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने, पीड़ित छात्रा को न्याय सुनिश्चित करने और यदि संभव हो तो उसके लिए विशेष परीक्षा की व्यवस्था कर उसे अवसर प्रदान करने की मांग शामिल है। उन्होंने कहाकि ऐसी घटनाओं के लिए जवाबदेही तय करते हुए संवेदनशील प्रशासनिक प्रणाली विकसित की जाए।
सांसद ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई करेगी ताकि भविष्य में किसी भी छात्र को अपनी धार्मिक पहचान के कारण शिक्षा और सेवा के अवसरों से वंचित न होना पड़े।
