



डॉ. अर्चना गोदारा.
वर्तमान में तीव्र गति से बदलते तकनीकी युग में शिक्षा के स्वरूप में भी क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। पारंपरिक कक्षा आधारित शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ दूरस्थ शिक्षा ने न केवल शिक्षा को सुलभ बनाया है, बल्कि समाज के उन वर्गों तक भी पहुंच बनाई है जो किन्हीं कारणों से नियमित शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते । डिजिटल क्रांति, स्मार्ट फोन और इंटरनेट की पहुंच ने इस प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाया है। दूरस्थ शिक्षा एक ऐसी प्रणाली है जिसमें विद्यार्थी किसी शैक्षणिक संस्थान में नियमित रूप से उपस्थित हुए बिना ही शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से उन विद्यार्थियों, कामकाजी व्यक्तियों, गृहिणियों, दिव्यांग जनों, दुर्गम स्थानो तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों के लिए वरदान साबित हुई है, जिनके लिए नियमित कक्षाओं में पहुंच पाना संभव नहीं हो पाता है ।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय तथा वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है। इग्नू 1985 में स्थापित हुआ था, आज दुनिया की सबसे बड़ी ओपन यूनिवर्सिटी है, जिसमें 30 लाख से अधिक विद्यार्थी विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं। यह संस्था उच्च शिक्षा को घर-घर तक पहुंचाने में सफल रही है।

राजस्थान के कोटा शहर में स्थित वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, राज्य में दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्थान है। इसकी स्थापना वर्ष 1987 में कोटा ओपन यूनिवर्सिटी के नाम से हुई थी, जिसे बाद में 2002 में वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी नाम दिया गया। इसका उद्देश्य उन विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है जो नियमित शिक्षा प्रणाली से जुड़ने में असमर्थ हैं। विश्वविद्यालय में 32 से अधिक अध्ययन केंद्र और 100 से ज्यादा स्टडी सेंटर हैं, जो पूरे राजस्थान में फैले हुए हैं। यह विश्वविद्यालय स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र और शोध कार्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। वीएमओयू में लगभग 1.3 लाख से अधिक विद्यार्थी नामांकित हैं।
दूरस्थ शिक्षा में तकनीकी नवाचारों ने भी क्रांति ला दी है। आज के समय में एसडब्ल्यूएवाईएएम, एनपीटीईएल जैसे सरकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से लाखों विद्यार्थी गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रमों को निःशुल्क प्राप्त कर रहे हैं। एसडब्ल्यूएवाईएएम प्लेटफॉर्म पर अब तक 1.5 करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, इससे इसकी व्यापकता और प्रभावशीलता का अनुमान लगाया जा सकता है। इन प्लेटफॉर्म्स पर छात्रों को वीडियो व्याख्यान , क्विज़, असाइनमेंट, लाइव क्लासेस आदि के माध्यम से शिक्षा का एक सशक्त अनुभव दिया जाता है।

दूरस्थ शिक्षा में यात्रा, रहने, पुस्तकों एवं अन्य संसाधनों पर आने वाली लागत बहुत हद तक कम हो जाती है। इसके द्वारा विद्यार्थी अपनी सुविधा और समय के अनुसार पढ़ाई कर सकते हैं। विद्यार्थी अपने सीखने की गति स्वयं निर्धारित कर सकते हैं, जिससे सीखना अधिक प्रभावशाली होता है। विद्यार्थी पारंपरिक विषयों के अलावा नवीन विषयों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, डिजिटल मार्केटिंग आदि में भी कोर्स कर सकते हैं।
सीमा झा जो कि बिहार के एक छोटे से गांव से हैं। इग्नू से स्नातक करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए किया और अब वे स्वयं एक दूरस्थ शिक्षा प्लेटफॉर्म पर हिंदी पढ़ा रही हैं। स्वपनिल शिंदे जो कि वर्तमान में पुणे में एक आईटी कंपनी में कार्यरत हैं, ने एनपीटीईएल के माध्यम से डेटा साइंस में प्रमाण पत्र प्राप्त किया और अब उन्हें कंपनी में उच्च पद पर पदोन्नति भी मिली है।

भारत सरकार के एआईएसएचई रिपोर्ट 2023 के अनुसार, उच्च शिक्षा में नामांकन की कुल संख्या 4 करोड़ से अधिक है, जिसमें से लगभग 11ः छात्र दूरस्थ शिक्षा प्रणाली से जुड़े हुए हैं। यूजीसी के अनुसार, भारत में लगभग 50 से अधिक विश्वविद्यालय ऐसे हैं जो मान्यता प्राप्त दूरस्थ शिक्षा पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। 2020 की केपीएमजी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑनलाइन शिक्षा बाजार वर्ष 2025 तक ₹360 करोड़ तक पहुंच सकता है।
वर्तमान मे भारत सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 केपीएमजी में डिजिटल और दूरस्थ शिक्षा को प्रमुख स्थान दिया है। इसमें ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा, वर्चुअल लैब्स, और ओपन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स के विकास की बात कही गई है। इसके अतिरिक्त, डिजिटल इंडिया अभियान के तहत भारत सरकार ने ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिससे दूरस्थ शिक्षा को और अधिक मजबूती मिलेगी।

दूरस्थ शिक्षा अब आधुनिक और प्रगतिशील युग में शिक्षा का एक सशक्त माध्यम बन चुकी है। यह न केवल शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाती है, बल्कि समावेशी विकास की दिशा में एक प्रभावी कदम है। यदि सरकार, शिक्षण संस्थानों और तकनीकी क्षेत्रों को साथ मिलकर इस प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाती हैं, तो यह शिक्षा क्षेत्र में एक स्थायी परिवर्तन ला सकती है। दूरस्थ शिक्षा ने सिद्ध कर दिया है कि शिक्षा अब स्थान, समय तथा संसाधनों की मोहताज नहीं है। समाज में सीखने वालों के लिए यह एक सुनहरा अवसर है आगे बढ़ने का, जिसे अपनाकर व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर प्रगति की जा सकती है। इसलिए इस अवसर का लाभ उठाते हुए सीखिए और आगे बढ़िए।
सीखने वालों के लिए राहे अपने आप खुल जाती हैं, बस उन्हें ढूंढना पड़ता है।
जो ढूंढ लेता है, उनके लिए मंजिले दूर नहीं होती।
-लेखिका राजकीय एनएमपीजी कॉलेज हनुमानगढ़ में सहायक आचार्य हैं

