


भटनेर पोस्ट ब्यूरो.
राजस्थान हाईकोर्ट ने कोचिंग इंडस्ट्री पर सख्त रुख अपनाते हुए आत्महत्या कर रहे स्टूडेंट्स के मुद्दे को लेकर राज्य सरकार पर नाराजगी जताई है। न्यायालय ने कोचिंग रेगुलेशन एक्ट को अब तक लागू नहीं करने पर चिंता जाहिर करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक राज्य सरकार द्वारा अधिनियम लागू नहीं किया जाता, तब तक केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइनों की सख्ती से पालना सुनिश्चित की जाए। साथ ही, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत संबंधित कोचिंग संस्थानों पर आवश्यक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं। यह आदेश जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस चन्द्र प्रकाश श्रीमाली की खंडपीठ ने स्वप्रेरणा से दर्ज की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। अदालत ने इस मुद्दे को केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी के जीवन और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय माना।
कोर्ट ने कोचिंग संस्थानों से यह स्पष्ट करने को कहा कि डिप्रेशन व तनावग्रस्त स्टूडेंट्स को बचाने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं और क्या पढ़ाई के तौर-तरीकों में कोई बदलाव किया गया है? अदालत ने यह भी जोड़ा कि महज सफलता का आंकड़ा बढ़ाने के चक्कर में बच्चों को मानसिक रूप से कुचला नहीं जा सकता।
राज्य के महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने दलील दी कि राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक, 2025 को विधानसभा में पेश कर प्रवर समिति को भेजा जा चुका है। ऐसे में जब तक यह कानून पारित नहीं होता, केंद्र की गाइडलाइनों के दंडात्मक प्रावधानों को लागू करना संभव नहीं है। इस पर न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर गुप्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार गाइडलाइनों की अनुपालना तक नहीं कर रही, जिससे कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्याएं लगातार हो रही हैं। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए टिप्पणी की कि सरकार ने इस विषय पर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। अदालत ने साफ किया कि जब तक राज्य का कानून लागू नहीं होता, केंद्र की गाइडलाइन की सख्ती से पालना अनिवार्य है।
क्या कहती है केंद्र सरकार की गाइडलाइन?
केंद्र सरकार की ओर से कोचिंग संस्थानों को नियंत्रित करने के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई है, उसमें कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं। जैसे, 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग में प्रवेश नहीं दिया जा सकता। हर कोचिंग सेंटर में मानसिक स्वास्थ्य काउंसलर की नियुक्ति अनिवार्य है, जो छात्रों को तनाव, अवसाद आदि से बचाने के लिए समय-समय पर मार्गदर्शन दे। कोचिंग संस्थान कोई भ्रामक विज्ञापन नहीं दे सकते और शिक्षकों का न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता स्नातक होना अनिवार्य है। कोचिंग में पढ़ाई के लिए प्रत्येक छात्र के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर की जगह होनी चाहिए। छात्र के कोचिंग छोड़ने की स्थिति में शेष राशि की फीस वापसी अनिवार्य है। मनमानी फीस वसूली पर प्रतिबंध और उल्लंघन पर तीन स्तरों पर दंड, पहली बार उल्लंघन पर ₹25,000, दूसरी बार ₹1 लाख और तीसरी बार पर कोचिंग सेंटर का पंजीकरण रद्द करने का प्रावधान है।
राजस्थान कोचिंग रेगुलेशन बिल 2025 की स्थिति
राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र में प्रस्तुत किया गया ‘राजस्थान कोचिंग इंस्टीट्यूट कंट्रोल एंड रेगुलेशन बिल 2025’ फिलहाल प्रवर समिति के पास लंबित है। इस बिल में कई कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं, हर कोचिंग सेंटर का पंजीकरण अनिवार्य होगा। यदि कोई सेंटर छात्रों पर अनुचित दबाव बनाता है या मनमानी फीस वसूलता है, तो उस पर ₹2 से ₹5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। प्रावधानों के उल्लंघन पर पंजीकरण रद्द करने की शक्ति भी प्राधिकृत संस्था को होगी।
