सौरभ स्वामी : बच्चों के चहेते ‘कलक्टर अंकल’

भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में कुछ ऐसे आईएएस अफसर हैं जो नवाचारों के लिए जाने जाते हैं। ऐसे ही एक अफसर हैं श्रीगंगानगर के कलक्टर सौरभ स्वामी।

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में बतौर डायरेक्टर उन्होंने बेहतरीन कार्य किए। अब वे श्रीगंगानगर कलक्टर के तौर पर उन मुद्दों को ‘टच’ कर रहे हैं जो इलाके लिए बेहद जरूरी है। बच्चों से प्रेम करने वाले सौरभ स्वामी ने ‘स्वस्थ श्रीगंगानगर मिशन’ की शुरुआत की। लिहाजा, 14 नवंबर यानी बाल दिवस के मौके पर सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए प्रारंभ इस मिशन के पहले चरण में जिले के सभी ब्लॉकों में शिविर लगाए, जिसमें 1.90 लाख से अधिक बच्चों की स्कैनिंग की गई। रिपोर्ट देख हर कोई चौंका। इसके तहत 102003 में खून की कमी, 7600 में दांतों की, 1628 को कान, 322 को कम सुनाई देने संबंधी समस्या, 939 में स्लो लर्निंग, 1132 में हकलाने व तुतलाने, 5979 में आंखों के रोग, 498 कटे होंठ व तालू, 185 में टीबी, 694 कुपोषण, 808 मानसिक रोग, 1763 में स्किन रोग और 544 बच्चों में कमजोर हड्डियों की शिकायत मिली। इसके अलावा विद्यार्थियों में क्लब फुट, ऑटिज़्म, विटामिन की कमी से होने वाले रोग, अस्थमा, बौनापन आदि अन्य बीमारियां भी मिलीं। कलेक्टर स्वामी बताते हैं, ‘अभियान को विभिन्न चरणों के तहत पूरा किया जा रहा है। ‘मिशन मुस्कान’ के तहत दांत, ‘मिशन दृष्टि’ के तहत आंखों और ‘मिशन आवाज’ के तहत कान से संबंधित बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। ‘मिशन दृष्टि’ में नेत्र रोगों से ग्रसित 5620 में से 4173 विद्यार्थियों का उपचार कराया गया है, जिसमें से 2461 को चश्मे निशुल्क दिए जाएंगे। दांत रोगों से ग्रसित 7635 में से 5546 स्टूडेंट, कान से संबंधित बीमारियों वाले बड़ी संख्या में बच्चों का इलाज किया गया है।’ आईएएस सौरभ स्वामी के मुताबिक, कटे होंठ व तालू से ग्रसित 5 विद्यार्थियों को सर्जरी के लिए चयनित किया गया है। जल्द ही इन विद्यार्थियों को सर्जरी के माध्यम से उपचारित किया जाएगा। आपको बता दें कि कलक्टर सौरभ स्वामी की इस मुहिम की सर्वत्र चर्चा हो रही है। हर कोई इस अभियान को सार्थक बता रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता आशीष गौतम कहते हैं, ‘इस तरह की सोच के साथ काम करने वाले प्रशासक हों तो आधी समस्या स्वतः खत्म हो जाएगी। दूसरे जिले के कलक्टर्स को इनसे प्रेरणा लेकर अभियान को राज्य स्तर पर चलाने की जरूरत है। क्योंकि बच्चों की सेहत का ध्यान रखना प्राथमिकताओं में शुमार होना चाहिए।’

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