


भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
संसद का मानसून सत्र आज यानी 21 जुलाई से शुरू हो रहा है और उससे ठीक पहले दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने आक्रामक रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार के समक्ष कई ज्वलंत मुद्दे बड़ी बेबाकी से रखे। जहां अन्य दल अपनी उपस्थिति मात्र दर्ज कराने में लगे दिखे, वहीं एकमात्र सांसद वाली पार्टी आरएलपी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि मुद्दों की गंभीरता संख्या बल पर निर्भर नहीं होती। राजस्थान से जहां कांग्रेस के सांसद मानसून सत्र को लेकर सार्वजनिक तौर पर कोई रणनीति सामने नहीं ला सके हैं, वहीं आरएलपी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरती दिख रही है। हनुमान बेनीवाल ने स्पष्ट कर दिया है कि वे न सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र बल्कि समूचे राजस्थान और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी संसद में आवाज उठाने को तैयार हैं। लोकसभा में आरएलपी की यह मुखर भूमिका इस मानसून सत्र में राज्य के कई संवेदनशील मसलों को केंद्र में लाने वाली है।
बैठक में हनुमान बेनीवाल ने सबसे पहले पेपर लीक घोटालों को लेकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा दिए गए वादों की याद दिलाते हुए कहा कि चुनावों से पहले जिस भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने की बात कही गई थी, उस पर अब तक कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने पेपर माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई और इस मुद्दे पर संसद में विशेष चर्चा कराने की मांग करते हुए कहा-‘देश का युवा वर्ग हताश है। हर परीक्षा के बाद उसकी मेहनत पर पानी फिरता है। अगर अब भी नहीं चेते, तो यह राष्ट्र निर्माण के भविष्य पर कुठाराघात होगा।’
राजस्थान से जुड़े मुद्दों पर बोलते हुए बेनीवाल ने हाल ही में रद्द की गई पुलिस उप निरीक्षक भर्ती को युवाओं के साथ अन्याय करार दिया। उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग के पुनर्गठन की पुरजोर मांग करते हुए कहा कि यह संस्था भ्रष्टाचार और लापरवाही का अड्डा बन चुकी है और इसकी साख बहाल करने के लिए निर्णायक सुधार जरूरी हैं।
सांसद निधि को लेकर बेनीवाल ने बड़ा प्रस्ताव रखते हुए कहा कि मौजूदा एमपी-एलएडीएस फंड को 5 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ किया जाए, ताकि सांसद अपने क्षेत्र में प्रभावी विकास कार्य कर सकें। इसके साथ ही उन्होंने छोटे दलों और एकल सांसदों के अधिकारों की मजबूती की वकालत की। एक या दो सांसद वाले दलों को भी हर विधेयक पर बोलने का अधिकार मिले और उन्हें बीएसी जैसी अहम समितियों में प्रतिनिधित्व दिया जाए।
बेनीवाल ने सिंधु जल समझौते की पुनर्समीक्षा करते हुए सरकार से मांग की कि पाकिस्तान को जाने वाले जल को अब पश्चिमी राजस्थान की ओर मोड़ा जाए। सूखा झेल रहे राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर जैसे क्षेत्रों को इससे नई संजीवनी मिल सकती है। यह समय की मांग और रणनीतिक आवश्यकता दोनों है।
आपदा प्रबंधन पर बोलते हुए आरएलपी प्रमुख ने देशभर में बाढ़ और अतिवृष्टि से उत्पन्न समस्याओं का समाधान आधुनिक तकनीकों में तलाशने की बात कही। उन्होंने सुझाव दिया कि बाढ़ के पानी को संग्रहित कर भविष्य के लिए उपयोगी बनाया जाए। नागरिक विमानन क्षेत्र की गिरती सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी उन्होंने चिंता जताई और हालिया अहमदाबाद विमान हादसे का उल्लेख करते हुए क्ळब्। की कार्यप्रणाली की समीक्षा की मांग की।
स्वास्थ्य सेवाओं पर बोलते हुए बेनीवाल ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी, उपकरणों की अनुपलब्धता और अव्यवस्थाएं आम हो गई हैं। देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर संसद में एक अलग चर्चा होनी चाहिए।
बैठक में बेनीवाल ने संसद की कार्यप्रणाली को अधिक जवाबदेह और त्वरित बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने मांग की कि शून्यकाल या नियम 377 के तहत उठाए गए हर मुद्दे पर संबंधित मंत्रालय एक सप्ताह के भीतर लिखित उत्तर दे और मंत्री सदन में उसी दिन प्रतिक्रिया देने को बाध्य हों।
