गुरू गोबिंदसिंह जी की कृपाण का दर्शन, धन्य हुई संगत

भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
सिक्खों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह जी की निजी तलवार राजस्थान में है। जी हां। यह जानकर आपकी उत्सुकता बढ़ जाएगी कि आखिर वह कृपाण है कहां ? तो आइए, आपको बताते हैं। दरअसल, गुरू गोबिंद सिंहजी कुछ समय नाहन में रहे थे। नाहन से रवाना होने से पूर्व उन्होंने अपनी निजी तलवार तत्कालीन शासक को स्मृति चिन्ह के तौर पर भेंट की थी। राजमाता पद्मिणी देवी भी नाहन से हैं, कुछ साल पहले तलवार जयपुर लेकर आ गईं और तब से यह तलवार सिटी पैलेस में विराजमान है। सुखमनी सेवा सोसायटी की प्रेसिडेंट पिंकी सिंह बताते हैं, इस पावन कृपाण का दर्शन करने दूर-दूर से संगत आती है। काबिलेगौर है कि आज वैशाखी पर्व है और आज ही दिन गुरू गोबिन्द सिंह जी ने सन 1699 में आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। उन्होंने सर्वप्रथम पांच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया। उन पांच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया। गुरू गोबिन्द सिंह जी ने ही दो नारे दिए हैं-’जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ और ’वाहे गुरू जी का खालसा-वाहे गुरू जी की फतह’। ये नारे सिख धर्म की पहचान है। 

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