भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
सूबे की सियासत ‘पहेली’ बन चुकी है, भाजपा और कांग्रेस के लिए भी। दोनों ही दलों में दल-दल की स्थिति है। बहरहाल, कांग्रेस को लीजिए। प्रदेशाध्यक्ष व डिप्टी सीएम पद से हटाए गए सचिन पायलट का तेवर तीखा है। वे गाहे-बगाहे अपनी ही सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। बाकी काम पायलट समर्थक मंत्री और विधायक कर देते हैं। चुनावी साल में चल रहे धींगामुश्ती से खिन्न मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली पहुंचे हैं। वे पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। पार्टी की स्थिति और रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। गहलोत आज जयपुर लौटेंगे। इस बीच, मुख्यमंत्री गहलोत मीडियाकर्मियों से मुखातिब हुए। सचिन पायलट का नाम नहीं लिया लेकिन इशारे में ही उनको नसीहत दे दी।
गहलोत बोले-‘कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे पार्टी की छवि खराब होती हो। सभी को राज्य में फिर से कांग्रेस सरकार लाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। चिंगारी लगाना आसान है, लेकिन आग बुझाना बहुत मुश्किल है।’ गहलोत ने पायलट के बयानों की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि अगर किसी टिप्पणी से किसी का कुछ नुकसान होता है तो अपने व्यक्तिगत नुकसान की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि पार्टी आलाकमान क्षतिपूर्ति करेगा। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं कहना या करना चाहिए, जिससे पार्टी और संगठन को नुकसान हो क्योंकि इससे हुए नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर पाएगा।’ गहलोत के इस बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। गौरतलब है कि इस वक्त राजस्थान कांग्रेस में अधिकांश मंत्री-विधायक बेलगाम लफ्फाजी करने में जुटे हैं। इससे सरकार की किरकरी हो रही है।