जानिए…जयपुर में किस तरह साकार होगी मैथिली संस्कृति

भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
वैशाख शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को देश भर में जानकी नवमी मनाई जाती है। बिहार के मिथिलांचल के लिए इस तिथि का अपना महत्व है। मान्यता है कि इसी तिथि को राजा जनक को सीता के रूप में पुत्री की प्राप्ति हुई थी। मिथिला के लोग आज भी सीता को बहन और श्रीराम को पाहुन यानी मेहमान के तौर पर पूजते हैं। मिथिलांचल में आज भी सीता-राम से जुड़े अनेकों प्रसंग सुनने को मिल जाएंगे। विवाह, उपनयन या मुंडन संस्कार आदि के रस्मों में सीता-राम से जुड़े लोकगीत बेहद लोकप्रिय हैं।

मैथिली महिला मंच जयपुर की ओर से राजधानी में जानकी नवमी पर कई कार्यक्रम होंगे। अध्यक्ष बबीता झा बताती हैं, ‘मां जानकी से हम सबका आत्मीय संबंध है। मिथिला में हर मां अपनी बेटी को सीता की तरह आचरण करने की शिक्षा देती हैं। मां जानकी हम सबकी प्रेरणास्त्रोत हैं। पूजनीय हैं। इसलिए मैथिली महिला मंच की ओर से आयोजन हो रहा है, इनमें मां सीता की प्रतिमा का शृंगार, महाआरती और 1100 दीये का दान आदि कार्यक्रम प्रमुख हैं। ये सभी कार्यक्रम टोंक रोड स्थित माथुर वैश्य नगर के श्रीराम मंदिर में होंगे। महिलाएं मैथिली लोकगीतों से मां सीता का स्मरण करेंगीं। सुंदरकांड का पाठ और फिर प्रसाद का वितरण होगा।’
मंच की अध्यक्ष बबीता झा ने बताया कि मां जानकी मिथिला में ही इस दिन प्रकट हुई थीं। यही वजह है कि मिथिलावासियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है।

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