हनुमानगढ़ जिले के पीलीबंगा उपखंड क्षेत्र के गांव हरदयालपुरा में विगत दिनों रात्रि के अंधेरे में एक गर्भवती नीलगाय का क्रूरतापूर्वक शिकार करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पूरे मामले की पड़ताल कर रहे संवेदनशील पत्रकार यश गुप्ता….
यश गुप्ता.
वन विभाग की टीम ने जनाक्रोश के बीच मुख्य अभियुक्त शोका उर्फ श्योकत अली पुत्र फत्तेहमोहमद निवासी वार्ड 2 रोड़ांवाली व एक अन्य सरदार अली पुत्र मोहम्मद सदीक निवासी वार्ड 14 रोड़ांवाली को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन विचारणीय बिंदु यह है कि आखिर वन्यजीव प्रेमियों को ऐसे क्रूरतापूर्ण कार्य करने वालों को गिरफ्तार करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने की जरूरत ही क्यों पड़ी? दबाव भी ऐसा कि वन विभाग द्वारा उक्त शिकार प्रकरण में गिरफ्तार आरोपियों का प्रेस नोट और फोटो भी जारी किए गए।
हनुमानगढ़ जिले में अब तक शिकार की वारदातों में वन विभाग द्वारा गिरफ्तार आरोपियों की फोटो और नाम सार्वजनिक करने का यह पहला मामला है। प्रशासन और वन विभाग द्वारा शायद यह कोशिश सर्वसमाज में व्याप्त इस निर्मम जीव हत्याकांड के बाद उपजे आक्रोश के कारण की जा रही है। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि वन विभाग की टीम ने वन्यजीव प्रेमियों द्वारा एसडीएम कार्यालय के किए गए घेराव से एक दिन पहले ही शिकारियों के ठिकानों पर दबाव देकर वहां से 12 बोर के दो जिंदा कारतूस बरामद किए थे। इस संबंध में हनुमानगढ़ सिटी थाना में परिवाद दर्ज करवाया था। जिस पर उक्त शिकारियों की गिरफ्तारी सिटी पुलिस थाने की टीम द्वारा की गई। वहीं से वन विभाग की टीम ने इन्हें अपनी हिरासत में लिया और फिर छापेमारी के दौरान खुद की गिरफ्तारी दिखा दी। आखिरकार वन विभाग कर क्या रहा है ? क्यूं सरकार इस लगभग निष्क्रिय रहने वाले विभाग का बोझा ढो रही है?
वन्यजीवों के शिकार का मामला हो और या लकड़ियों के अवैध कारोबार का दोनों ही मुख्य अपराधों पर वन विभाग ठीक से अंकुश नहीं लगा पा रहा है। इस तमाम कृत्य के विरोध में सर्वसमाज के सहयोग से आंदोलनरत वन्यजीव प्रेमियों द्वारा सोमवार 26 जून को चक्का जाम करने की घोषणा की गई है। जो अभी तक यथावत है। इस वारदात को लेकर वन्यजीव प्रेमियों द्वारा आंदोलन किए जाने पर इस वारदात के शेष आरोपियों को भी प्रशासन गिरफ्तार कर लेगा परंतु इससे पूर्व भी ऐसे ही क्रूर शिकारियों द्वारा कारित की गई वारदातों का शिकार हुए मूक प्राणियों को न्याय कैसे मिलेगा। इस पर समय रहते सोचना लाजिमी है।
फिलहाल इसी वारदात की बात करें तो बताया जा रहा है कि पकड़े गए इन शिकारियों का निरीह जानवरों को काटने का यह सिलसिला विगत करीब तीन दशकों से जारी है। इतने लंबे समय से असंख्य जीवों की निर्मम हत्या कर उनके अंगों को बेचकर लाखों कमाने वाले ये लोग प्रशासन व संबंधित विभाग के हत्थे आखिर कैसे नहीं चढ़े।
ये लोग एक नीलगाय के मांस से लाखों रुपए कमाते हैं। इतना ही नहीं अगर नीलगाय को जिंदा काट ले जाएं तो उसके मांस की और अधिक कीमत मिलती है। इस वारदात को अंजाम देते वक्त शिकारियों ने मानवता की सभी हदों को लांघते हुए गर्भवती नीलगाय को पकड़कर उसकी आंखों में एक विशेष प्रकार की लाइट से हाईपावर की रोशनी डाली। जिससे उसे कुछ दिखाई ना दे। और फिर उसे जिंदा काटते हुए उसकी कोख चीरकर उसके दो नवजातों को मार फैंका और नीलगाय का मांस निकाल लिया। जिस दरिंदगी को पढ़कर ही हमारी रूह कांप रही है, वह जिस जीव के साथ हुई है उस पर क्या बीती होगी। यह सोचकर हमें अपने इंसान होने पर ही शर्म आने लगी है।