हनुमानगढ़: कांग्रेस से छिनेगा नगरपरिषद बोर्ड ?

भटनेर पोस्ट डॉट कॉम. 

कांग्रेस ने बागियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सात पूर्व विधायकों सहित 49 नेताओं को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इनमें संगरिया की पूर्व विधायक डॉ. परम नवदीप, हनुमानगढ़ नगरपरिषद चेयरमैन गणेशराज बंसल, सादुलशहर से ओम बिश्नोई, कोलायत से रेवतांराम पंवार, लूणकरणरसर से वीरेंद्र बेनीवाल भी शामिल हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अब पार्टी से जुड़े जनप्रतिनिधियों और उन पदाधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा जो पार्टी गाइडलाइन के खिलाफ जाकर निर्दलीयों यानी बागियों का समर्थन कर रहे हैं। 
बताया जा रहा है कि इसकी सूची तैयार की जा रही है।
हनुमानगढ़ नगरपरिषद चेयरमैन गणेशराज बंसल के निष्कासन के साथ ही सवाल यह है कि क्या हनुमानगढ़ में कांग्रेस बोर्ड का जाना तय है? बताया जा रहा है कि इस वक्त हनुमानगढ़ में बंसल को करीब 40 पार्षदों का समर्थन हासिल है। इनमें कांग्रेस, भाजपा और निर्दलीय पार्षद शामिल हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के बाद हनुमानगढ़ शहर की सरकार में बदलाव के साफ आसार नजर आ रहे हैं। 

 पार्टी के एक नेता नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताते हैं कि नगरपरिषद चुनाव के दौरान जो कार्यकर्ता पार्टी सिंबल के लिए तड़प रहे थे, उन्हें पार्टी के खिलाफ काम करते देख हैरानी हो रही है। शायद, यह राजनीति का बदसूरत चेहरा है। अब ऐसे कार्यकर्ता किस मुंह से अगले साल होने वाले चुनाव में कांग्रेस सिंबल के लिए आवेदन करेंगे। अगर उन्हें अपने जनाधार पर इतना ही भरोसा था तो फिर पार्टी सिंबल के लिए तड़प क्यों ? 
माना जा रहा है कि कांग्रेसी पार्षदों को सभापति के प्रति मोह के कई कारण हैं। पहला कारण यह कि बंसल के पास नगरपरिषद बोर्ड चलाने का पुराना अनुभव रहा है। वे जानते हैं कि पार्षद को ‘संतुष्ट’ कैसे किया जा सकता है। चेयरमैन बनते ही उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के हिसाब से समीकरण बिठाना शुरू कर दिया था, जिसका परिणाम उन्हें मिल रहा है। दूसरा बड़ा कारण है कि क्षेत्रीय विधायक चौधरी विनोद कुमार का पार्षदों के साथ जुड़ाव कम होना। 
 वरिष्ठ पत्रकार पृथ्वीराज शर्मा ‘भटनेर पोस्ट डॉट कॉम’ से कहते हैं, ‘चौधरी विनोद कुमार का वर्किंग स्टाइल’ अलग तरह का रहा है। वे राजनीतिक दांवपेंच से दूर रहते हैं। सब पर भरोसा करते हैं। इसलिए उन्होंने कभी इसकी परवाह नहीं की लेकिन आज उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ रहा है। वहीं, गणेशराज बंसल इस दांवपेंच के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। उनकी रणनीति काम कर रही है, बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।’

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