सीएम गहलोत की शेर ओ शायरी, क्या है सियासी मायने ?

भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
‘ना पूछो मेरी मंजिल कहां है,
अभी तो सफर का इरादा किया है
ना हारूंगा हौसला उम्र भर,
यह मैंने किसी और से नहीं,
खुद से वादा किया है।’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस शेर के जरिए कांग्रेस में चल रही अंदरुनी उठापटक की संभावनाओं के बीच यह सियासी संदेश दिया है। माना जा रहा है कि जब से सचिन पायलट को जिम्मेदारी देने जैसी अटकलें तेज हुई हैं, गहलोत खेमा अलर्ट हो गया है। वह हर इक घटनाक्रम पर पैनी नजर रख रहा है। माना जा रहा है कि राजस्थान में इस वक्त गहलोत ने चुनावी माहौल को पूरी तरह नियंत्रित कर रखा है, आलाकमान की मामूली चूक से बड़ा फेरबदल हो सकता है। जानकार लोग इसमें कांग्रेस का नुकसान देखते हैं। आज यानी तीन जुलाई को मुख्यमंत्री निवास पर पालनहार योजना के लाभार्थियों के लिए उत्सव था। इसमें सीएम गहलोत भी शरीक हुए। उन्होंने शायराना अंदाज में सियासी संदेश दिए। इसके बाद जयपुर के सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। आखिर, आलाकमान क्या चाहता है ? क्या, गहलोत के सामने पायलट को लेकर कुछ संदेश मिले हैं ? क्या, गहलोत आलाकमान के फैसले को दिल से स्वीकार कर लेंगे ? अगर नही ंतो फिर कांग्रेस का राजस्थान में भविष्य क्या होगा ? इस तरह के कई सवाल सियासी समर में तैरते नजर आ रहे हैं लेकिन इनका माकूल जवाब किसी के पास नहीं है। इतना जरूर है, कांग्रेस आलाकमान एक्टिव मोड पर है और राजस्थान को लेकर कुछ मंथन चल रहा है। उस मंथन से क्या निकलेगा, कहना मुश्किल है। लेकिन शेर ओ शायरी के जरिए गहलोत का इशारा साफ है कि वे अब झुकने वाले नहीं हैं। 

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