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शहर की सरकार में कामकाज ठप सा हो गया है। करीब डेढ़ महीने से आम जन का कोई काम नहीं हो रहा। न वर्कऑर्डर हो रहे और न ही टेंडर प्रक्रिया। सब कुछ ठहर सा गया है। इसका एकमात्र कारण है आयुक्त का पद रिक्त होना। एक आयुक्त के नहीं होने से सारा काम ठप हो गया है। नागरिकों का कहना है कि एक तरफ सरकार प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत लोगों को अधिकाधिक पट्टे जारी करने का दावा कर रही है तो दूसरी तरफ डेढ़ महीने से एक भी पट्टे जारी नहीं हुए। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि आखिर नगरपरिषद के लिए सरकार एक आयुक्त की व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रही ? गौरतलब है कि आयुक्त पूजा शर्मा के स्थानांतरण के बाद सरकार ने यहां पर एक अधिकारी को लगाया था लेकिन उन्होंने जॉइन करने से मना कर दिया और फिर दूसरी लिस्ट में उनका तबादला कहीं और हो गया। बहरहाल, आयुक्त का अतिरिक्त चार्ज आरएएस अधिकारी स्वाति गुप्ता के पास है जो टिब्बी की एसडीएम हैं। नगरपरिषद सूत्रों का कहना है कि एसडीएम के पास समय नहीं है। वे यदा-कदा ही यहां आती हैं और फाइलों को देखने में उनकी कोई रुचि नहीं हैै। इसलिए फाइलों का अंबार लग चुका है। चुनावी समय है और लोग काम में तेजी मे ंचाहते हैं लेकिन आयुक्त के नहीं होने से कुछ भी होना संभव नहीं।
चक्कर काटने को मजबूर हैं लोग
मुख्यमंत्री ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पात्र लोगों को कब्जाशुदा भूमि का मालिकाना हक जारी करने के लिए नियमों की ढील दी तो आम जन में खुशी का माहौल था। लेकिन अधिकारी के नहीं होने से फाइलों के ढेर लग चुके हैं और करीब डेढ़ महीने से एक भी पट्टा जारी नहीं हुआ। ऐसे में लोग नगरपरिषद कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। पार्षदों में भी इसको लेकर नाराजगी है। उनका कहना है कि आयुक्त नगरपरिषद का सबसे बड़ा अधिकारी है, उसके हस्ताक्षर के बिना कुछ नहीं होता। ऐसे में सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
2030 को छोड़िए, 2023 का सोचिए!
सत्तापक्ष के एक पार्षद ने कहाकि मुख्यमंत्री राजस्थान के विकास के लिए कटिबद्ध हैं। वे निरंतर प्रयास भी कर रहे हैं। इस वक्त राज्य सरकार 2030 के लिए विजन तलाश रही है, यह अच्छी बात है और सराहनीय भी। लेकिन बेहतर होगा कि सरकार पूरा ध्यान 2023 पर केंद्रित करे, क्योंकि चुनाव भी है। जब नगरपरिषद जैसी संस्था में प्रशासनिक मुखिया का पद खाली हो तो किसी अभियान को गति मिलना बेहद मुश्किल है। उनका कहना है कि इस संबंध में विधायक को भी सोचना चाहिए और सरकार से मांग कर यहां पर स्थाई आयुक्त पदस्थापित करना चाहिए ताकि शहर का विकास अनवरत रूप से सुचारू रह सके और इससे कांग्रेस को लाभ मिल सके।
विकास पर असर तो पड़ता ही है: बंसल
नगरपरिषद सभापति गणेशराज बंसल से आयुक्त की गैरमौजूदगी से कामकाज प्रभावित होने को लेकर सवाल किया गया तो उनका कहना था कि इसमें दो राय नहीं कि आयुक्त के नहीं होने से कामकाज पर असर पड़ता है। पिछले डेढ़ महीने से विकास कार्यों पर भी असर पड़ा है। बंसल के मुताबिक, सरकार को आम जनों की पीड़ा को समझते हुए तत्काल आयुक्त पद पर किसी दक्ष अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए ताकि शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने का सपना प्रभावित न हो। सभापति ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही सरकार यहां पर अधिकारी नियुक्त करेगी।