राजनीति में संभावनाओं की कोई सीमा तय नहीं होती। अनंत होती हैं, आकाश की तरह। इसलिए सियासत में ‘अप्रत्याशित’ शब्द मायने नहीं रखते। बीजेपी राज्य टीम में बाबा बालकनाथ को प्रमुखता से लिया जाना इस बात का प्रमाण है। प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी की टीम में बाबा बालकनाथ योगी नंबर एक पर दर्शाए गए हैं। उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है। टीम की वरीयताक्रम में वे सर्वोपरि हैं। सूची को देखकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि पांच-छह साल पहले तक हनुमानगढ़ टाउन के पास गंगानी थेड़ी के आश्रम में गुमनाम सा रहने वाला यह बाबा अचानक राज्य बीजेपी में नंबर दो कैसे हो गया ? यही राजनीति है, यही संभावनाएं हैं जहां कुछ भी अप्रत्याशित नहीं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अभी तो यह शुरुआत है, आने वाले समय में बाबा बालकनाथ योगी के सियासी सितारे और अधिक जगमगाएंगे। ऐसा नहीं कि योगी बालकनाथ अपने गुरु महंत चांदनाथ के उत्तराधिकारी के तौर पर ‘थोपे’ गए नेता हैं, सच तो यह है कि बतौर सांसद व बीजेपी नेता उन्होंने अपने आपको साबित कर दिखाया है। आक्रामकता उनकी पहचान बन चुकी है और बीजेपी के ढांचे में वे पूरी तरह फिट आते हैं। बस, थोड़ा इंतजार कीजिए। देश में योगी युग का प्रादुर्भाव होने दीजिए। तो क्या, योगी बालकनाथ कभी राजस्थान में योगी आदित्यनाथ की तरह भूमिका निभाने की स्थिति में आ सकते हैं ? अगर राजनीति की थोड़ी-बहुत समझ रखते हैं तो इस सवाल के जवाब में फौरन ‘हां’ बोल दीजिए। याद रखिए, राजनीति को संभावनाओं का खेल कहा जाता है। बस, खिलाड़ी पक्का होना चाहिए और यकीन मानिए योगी बालकनाथ इसका परिचय दे चुके हैं। कोई शक ?