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रोचक बात यह कि पत्रकार वार्ता खत्म होने तक कैलाश चौधरी को अपनी गलती का अहसास तक नहीं हुआ। उन्होंने न्यू पेंशन स्कीम और ओल्ड पेंशन स्कीम बोलने में भी गलती की। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार की योजनाओं पर हमला करने की हड़बड़ी में उनकी जुबान कई बार फिसली। गहलोत की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का जिक्र आया तो उन्होंने 25 लाख की योजना को 15 हजार का बता दिय।
आखिर में उन्होंने कांग्रेस विधायकों को ‘खुल्ला सांड’ तक बताया। वहीं, सीएम गहलोत और पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के लिए ‘बंदरिया’ शब्द का इस्तेमाल किया।
बीजेपी की राजनीति को निकट से महसूस करने वालों का कहना है कि इसमें केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की गलती नहीं है।
दरअसल, बीजेपी में इस वक्त हर नेता ‘प्रेशर’ महसूस कर रहा है। विपक्ष पर हमलावर रहने के चक्कर में वे कई बार ‘अपनों’ की ‘ऐसी-तैसी’ कर रहे हैं। कुछ भी हो। मंत्री कैलाश चौधरी की ‘बदजुबानी’ उन्हें खूब पब्लिसिटी दिला रही है। वैसे भी सियासत में ‘नाम’ के लिए ‘बदनाम’ होने की रवायत रही है।