एम.एल शर्मा.
लीजिए, बहु प्रतीक्षित मंत्री परिषद का गठन आखिरकार हो ही गया। खास बात यह रही कि नए बने मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में सुरेंद्रपाल सिंह टीटी का नाम भी शामिल रहा। फिलहाल टीटी विधायक नहीं वरन श्रीकरनपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी है। यहां चुनाव से पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीतसिंह कुन्नर के निधन के चलते चुनाव स्थगित हो गए थे।
चुनाव प्रचार कर रहे टीटी को एकाएक जयपुर बुलाने से यह कयास लगने लगे कि क्या इन्हें मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाएगा? मंत्री के रूप में शपथ लेने के साथ ही इन चर्चाओं पर विराम लग गया और चुनाव परिणाम से पूर्व मंत्री बनाने का मुद्दा चल पड़ा। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने इसे आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग में शिकायत करने की बात कही। साथ ही जनता का प्रलोभन में ना आने का विश्वास जताते हुए कांग्रेस की जीत का दावा कर दिया।
संभवतया पहली दफा किसी प्रत्याशी को मंत्री बनाया गया है, इसे जीत की जुगत कहें अथवा चुनाव जीतने का जुगाड़, राजनीतिक विश्लेषक अपनी अपनी राय साझा करने में लगे हुए हैं। जनमत के निर्णय से पूर्व ही ऐसा होना चुनाव परिणाम को कैसे प्रभावित करेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। पर एक बात साफ है कि श्रीकरणपुर चुनाव में आला कमान को अपनी साख खोने का डर जरूर सता रहा है।
हालांकि, मौजूदा राजनीति में मर्यादा लुप्तप्रायः सी होती जा रही है जो लोकतंत्र के लिए घातक है। जनतंत्र में राजनीतिक सफलता महज एक पड़ाव नहीं बल्कि निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होती है जिसमें हमेशा नए लक्ष्य तय करके जन सेवा तलाशी जाती है। खैर, जो भी हो प्रदेश के 22 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली है। हालांकि शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं अशोक गहलोत नदारद रहे। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा के चटकारे चरम पर है। नए विधायकों को उत्तरदायित्व मिला है।
सनद रहे, उत्तरदायित्व कभी अकेला नहीं आता। वह उद्देश्य के साथ बदलाव लेकर आता है। जरूरी है कि बदलाव स्वाभाविक हो कृत्रिम नहीं। क्योंकि कृत्रिमता से बदलाव बोझ बन जाते हैं। खैर नवगठित मंत्रिमंडल को नए पद की बहुविध बधाई। राज्य का सांगठनिक भविष्य आपके हाथों में है। राज्य के सुनहरे भविष्य की बाट जोह रहे नागरिकों को समुचित अवसर सुलभ करवाएं तभी होगा जय जय राजस्थान!
( -लेखक पेशे से अधिवक्ता हैं और समसामयिक मसलों पर बेबाक लिखते हैं)