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हनुमानगढ़ नगरपरिषद की राजनीति में दो दशक पहले एक नाम बेहद चर्चित था। वो नाम था देवेंद्र अग्रवाल का। भाजपा का लोकप्रिय चेहरा। सदन के भीतर और बाहर उनका जलवा था। साल 2009 में निकाय चुनाव में पराजित होने के बाद देवेंद्र अग्रवाल राजनीति से दूर होते गए। उन्होंने अपने आपको बिजनेस में झोंक दिया। बावजूद इसके वे शहर के लोगों से जुड़े रहे। साल में ‘गेट टुगेदर’ के नाम पर शहर के चुनिंदा लोगों को फॉर्म हाउस में बुलाना उनकी आदत में शुमार है। कभी धार्मिक आयोजन तो कभी कुछ। सबको बुलाने का बहाना ढूंढ़ते रहते हैं देवेंद्र अग्रवाल।
पूर्व पार्षद देवेंद्र अग्रवाल इस वक्त बेहद चर्चा में हैं। कारण है भाजपा की राजनीति में उनकी सक्रियता। इस वक्त वे पूर्व मंत्री डॉ. रामप्रताप के साथ हमसाया की तरह नजर आ रहे हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि जब डॉ. रामप्रताप दिल्ली के गलियारे में टिकट के लिए मशक्कत कर रहे थे तो देवेंद्र अग्रवाल उनके लिए ‘फिल्डिंग’ तैयार करते थे। आखिरकार, भाजपा ने डॉ. रामप्रताप को ही टिकट दिया। भले अमित सहू के नाम पर ‘राजीनामा’ हुआ हो लेकिन इसमें देवेंद्र अग्रवाल की मेहनत को कम नहीं आंका जा सकता, ऐसा पार्टी सूत्रों का स्पष्ट मानना है।
काबिलेगौर है कि देवेंद्र अग्रवाल ने पूर्व मंत्री सुरेंद्रपाल सिंह टीटी को टिकट दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। दिल्ली के गलियारे में उन्हें टीटी की पैरवी करते देखा गया। टीटी करणरपुर से भाजपा प्रत्याशी हैं। हालांकि चुनाव एक बारगी स्थगित हो गया है।
भाजपा में देवेंद्र की सक्रियता की सर्वत्र चर्चा हो रही है। बताते हैं कि देवेंद्र अग्रवाल ही डॉ. रामप्रताप के साथ रहते हैं। रूठों को मनाने में उनकी बड़ी भूमिका मानी जा रही है। भाजपा के वरिष्ठ नेता भाई जसपाल सिंह के साथ डॉ. रामप्रताप की मीटिंग करवाने में भी देवेंद्र ने ही कार्यक्रम तय किया। बहरहाल, सियासी लोग देवेंद्र की सक्रियता के मायने निकाल रहे हैं। यह दीगर बात है कि देवेंद्र इन बातों से बेपरवाह होकर अपने लक्ष्य को साधने में जुटे हैं। उनका लक्ष्य क्या है, यह शहर के पुराने लोग भलीभांति जानते हैं।