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कड़वा कहते हैं, ‘हनुमानगढ़ और संगरिया में कोई अंतर नहीं। बचपन से हनुमानगढ़ सीट पर काम करता रहा हूं। पिताजी चुनाव लड़ते या भाई साहब। हम हर गांव और ढाणियों में संपर्क साधते। हनुमानगढ की जनता के साथ पारिवारिक संबंध है, सुख-दुःख का रिश्ता है।’ पूर्व विधायक कृष्ण कड़वा को उम्मीद है कि बीजेपी उन्हें टिकट देगी। इसकी बड़ी वजह वे पार्टी में 80 प्लस उम्र वालों को ‘मार्गदर्शक मंडल’ में भेजे जाने को मानते हैं।
राजनीतिक गलियारे में यह सवाल तैर रहा है कि चौधरी विनोद कुमार और उनके पुत्र भूपेंद्र चौधरी में से एक का चुनाव लड़ना तय है तो क्या बीजेपी कृष्ण कड़वा को टिकट देकर भाई-भाई या चाचा-भतीजा के बीच मुकाबला सुनिश्चित करेगी ? अगर ऐसा होता है तो फिर चुनाव कितना रोचक होगा, लोगों को इसका अंदाजा अभी से होने लगा है।