भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
राजनीति में परिवारवाद का जिक्र होते ही जेहन में कांग्रेस आती है। वो इसलिए क्योंकि भाजपा इस बात को हवा देती रही है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उनकी जमात के अमूमन सभी नेता कांग्रेस के ‘परिवारवाद’ पर कटाक्ष करते रहते हैं। अब वे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों का नाम लेकर उन पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए तंज कस रहे हैं। लेकिन भाजपा खुद इससे अछूती नहीं है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में पार्टी ने अब तक उम्मीदवारों की दो सूची जारी की है। इनमें परिवारवाद का कुछ सैंपल आप खुद देख लीजिए।
पहला नाम है नरपत सिंह राजवी का। राजवी पूर्व मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत के दामाद हैं। विद्याधर नगर से टिकट काटा तो हल्ला मचा फिर पार्टी बैकफुट पर आई और अब राजवी को चित्तौड़गढ़ से उम्मीदवार बनाया गया है। विद्याधर नगर से पार्टी प्रत्याशी दीया कुमारी पूर्व सांसद गायत्री देवी के परिवार से हैं। वहीं बीकानेर पूर्व से भाजपा प्रत्याशी सिद्धि कुमार पूर्व सांसद करणी सिंह की पौत्री हैं। पार्टी ने दिवंगत कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला को देवली से मैदान में उतारा है। पूर्व सांसद नाथूराम मिर्धा की पौत्री डॉ. ज्योति मिर्धा नागौर से प्रत्याशी हैं। पूर्व विधायक गौतमलाल के बेटे कन्हैयालाल मीणा धरियाद से तो पूर्व मंत्री किरण महेश्वरी की पुत्री दीप्ति महेश्वरी राजसमंद से प्रत्याशी बनाई गई हैं। पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे मंजीत चौधरी मुंडावर से चार दफा एमएलए रहे हरलाल सिंह खर्रा के बेटे झाबर सिंह खर्रा श्रीमाधोपुर से बीजेपी प्रत्याशी हैं तो पूर्व मंत्री दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह डीग से और पूर्व सांसद सांवरमल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा नसीराबाद से बीजेपी प्रत्याशी हैं। इनके अलावा भी कुछ और प्रत्याशी हैं जो किसी न किसी नेता के बेटे, बेटी अथवा पुत्रवधू हैं।