भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
भाजपा चुनाव की तैयारी में जोर-शोर से जुट गई है। पार्टी सीएम चेहरा घोषित नहीं कर दो मसलों पर चुनाव जीतने की जुगत में है। पार्टी को एक तो पीएम मोदी की लोकप्रियता पर भरोसा है और दूसरी है अपनी रणनीति। लिहाजा, पार्टी ने पिछले कुछ चुनाव परिणामों के आधार पर 200 में 120 ऐसी सीटों पर फोकस किया है जहां पर पार्टी का परिणाम अपेक्षित नहीं रहता। इसे ‘कमजोर’ क्षेत्र की सूची में शामिल किया गया है। ऐसे में कई सवाल उठ रहे हैं। राज्य में सर्वाधिक 163 सीटें जीतने का रिकार्ड बनाने वाली पार्टी 120 सीटों को कमजोर कैसे मान रहीं है ? खास बात है कि बीकानेर संभाग में पार्टी ने 11 कमजोर सीटों की सूची तैयार की हैं, इनमें हनुमानगढ़, नोहर और भादरा भी शामिल है। इसके अलावा श्रीगंगानगर, सादुलशहर, श्रीकरणपुर, खाजूवाला, कोलायत, श्रीडूंगरगढ़, सादुलपुर व तारानगर शामिल है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ‘भटनेर पोस्ट’ को बताते हैं कि यह सूची अपने आपमें सवाल है। जिस हनुमानगढ़ सीट को कमजोर माना गया है वहां पर भाजपा 1993 से मजबूत है। भले हार-जीत की स्थिति बदलती रही हो लेकिन तीसरा विकल्प नहीं होने के कारण पार्टी को कमजोर नहीं आंका जा सकता। फिर 2018 के चुनाव परिणाम की बात करें तो पार्टी प्रत्याशी डॉ. रामप्रताप करीब 15 हजार वोटों से पराजित हुए थे। जबकि जिस पीलीबंगा सीट को पार्टी मजबूत मान रही है वहां पर पार्टी प्रत्याशी धर्मेंद्र मोची महज 278 वोटों से जीत पाए थे। इसी तरह संगरिया सीट को पार्टी मजबूत मान रही है जबकि वहां पर पिछली बार करीब साढ़े छह हजार वोटों से पार्टी को सफलता मिली थी। हां, भादरा सीट जरूर टफ है जहां पर पिछली बार पार्टी को करीब 23 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त मिली थी। दरअसल, बीकानेर संभाग के पार्टी नेताओं को यह रिपोर्ट गले नहीं उतर रही। वहीं, पार्टी इन सीटों पर पार्टी की मजबूत स्थिति सुनिश्चित करने के लिए जल्दी ही कुछ वरिष्ठ नेताओं की जिम्मेदारी तय करने वाली है। इनमें केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, सांसद घनश्याम तिवाड़ी, योगी बालकनाथ आदि प्रमुख हैं।