भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
भाजपा आक्रामक है और कांग्रेस पूरी तरह निष्क्रिय। राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता रद्द होने का मामला कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम कर सकता था लेकिन सुस्त और निष्क्रिय संगठन की वजह से पार्टी इसे भुना सकेगी, संशय है। आलम यह है कि कांग्रेस के जिम्मेदार प्रतिनिधियों ने सोशल मीडिया पर भी विरोध स्वरूप एक पोस्ट करना उचित नहीं समझा। हद तो तब हो गई जब कांग्रेस के प्रदर्शन में आम कार्यकर्ता तो दूर जनप्रतिनिधि भी शामिल होने से आनाकानी करने लगे। आखिरकार, पीसीसी चीफ गोविंदसिंह डोटासरा का धैर्य जवाब देने लगा। मंगलवार को उन्होंने राहुल के समर्थन में खुलकर नहीं आने वालों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पार्टी हाईकमान के आदेशों के बाद किए जाने वाले धरने, प्रदर्शन और आंदोलन में एक्टिव नहीं रहने वाले नेताओं की पदों से छुट्टी करने तक की चेतावनी दी है। डोटासरा को इस बात की नाराजगी थी कि जयपुर सहित कई जिलों में हाल के दिनों में पार्टी के विरोध-प्रदर्शन हुए, लेकिन उतनी भीड़ नहीं जुटी। मंत्री, विधायकों ने भी पार्टी के कार्यक्रमों और धरने प्रदर्शन में भीड़ जुटाने और सक्रियता दिखाने में रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद डोटासरा ने नेताओं को खुले मंच से चेतावनी दी और खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने राहुल गांधी के समर्थन में हो रहे पार्टी के कार्यक्रमों से दूर रहने वाले कांग्रेसी नेताओं पर नाराजगी जताते हुए कहा-जिस पार्टी ने हमें पहचान, पद सहित सब कुछ दिया,हमारे नेता राहुल गांधी को संसद से डिस्क्वालिफाई करने के बाद भी हमारे कांग्रेस के लोगों का खून नहीं खौलता है। ये सोच रखते हैं कि आधे घंटे हम धरने पर जाकर आ जाएं, औपचारिकता पूरी कर दें तो लानत है ऐसी राजनीति पर। माना जा रहा है कि निकट भविष्य में कांग्रेस की राजनीति में व्यापक स्तर पर बदलाव संभव है।