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जयनारायण बेनीवाल कहते हैं कि विश्वविद्यालय के कृषि संकाय ने क्षेत्रीय भौगोलिक पारस्थितिकी का अध्ययन कर सर्वाेत्तम बीजों का निर्माण किया है जिससे किसान भाइयों को सीधे लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि एसकेडीयू कृषि संकाय ने किसानों के लिए बेहतर बीज उपलब्ध कराकर आरएंडडी में मिसाल कायम की है। वे यूनिवर्सिटी के एग्रीकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर किये जा रहे कार्य पर ख़ुशी जाहिर करते हुए उच्च शैक्षणिक संस्थानों से अपील करते हैं कि वे कृषि क्षेत्र की विषमताओं के मद्देनजर शोध कार्य पर और अधिक फोकस करें। जिन बीजों की वैराइटी लांच की गई उनमें गेहूं की छह किस्मों में डीबीडब्ल्यू 303, एचडी 2967, 3226 और 3298, एचआई 1620 और 1628 एवं सरसों की दो किस्में आरएच 725 और आरएच 761 शामिल हैं। किसानों के लिए अति उन्नतशील गेहूं की किस्में रोग रोधी क्षमता से युक्त है तथा सही समय पर बुवाई एवं सिंचाई कर किसान द्वारा अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसी तरह सरसों की दो किस्में आरएच 725 और आरएच 761 की प्रजाति एक सौ तीस-चालीस दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं इसकी फलियां लम्बी होती हैं एवं दानों का आकर मोटा होता है जिससे प्रति एकड़ अधिक उत्पादन होता है।
प्रगतिशील किसान डॉ. रामकुमार जोइया और डॉ. बाबूलाल पारीक बताते हैं कि उन्होंने एसकेडीयू कृषि संकाय से तैयार बीज को अपने खेत में इस्तेमाल किया जिससे कम जोत के बावजूद अच्छा उत्पादन प्राप्त किया।
कृषि संकाय की इस उपलब्धि पर गुरु गोबिंद सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बाबूलाल जुनेजा और यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन दिनेश कुमार जुनेजाएग्रीकल्चर टीम को बधाई देते हुए उम्मीद जताते हैं कि इसी तरह के नवाचारों से किसानों को सीधा फायदा पहुंचाने में आगे भी संकाय कार्य करेगा। इस मौके पर कृषि संकाय के फैकल्टी मेंबर्स डॉ. अभिनव कुमार मौर्य, डॉ. विजय दुगेसर, डॉ. अंकित कुमार, डॉ. मुकेश बिश्नोई, डॉ. मो. असद डॉ. बबीता, डॉ. निशा, राहुल यादव, लोकेन्द्र गोदारा आदि मौजूद थे।