भटनेर पोस्ट डिजिटल डेस्क. जयपुर.
राजस्थान में भाजपा के सीनियर नेताओं में से एक गुलाबचंद कटारिया अब असम के राज्यपाल होंगे। पार्टी ने उनकी नई भूमिका तय कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले कटारिया से फोन पर बात की थी लेकिन राज्यपाल बनाने को लेकर कोई बात नहीं की। इस बातचीत को ‘मैसेज’ के तौर पर देखा जा रहा है। असम के राज्यपाल घोषित होने के बाद कटारिया ने राजस्थान की राजनीति में पूर्व सीएम वसुंधराराजे को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहाकि राजे भारतीय जनता पार्टी की सीनियर लीडर हैं। दो बार मुख्यमंत्री रही हैं। पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। मैं सोचता हूं, उनकी भूमिका पहले भी थी, आज भी है, और आगे भी रहनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि गुलाबचंद कटारिया ने प्राइवेट स्कूल में टीचर से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। स्कूल में पढ़ाने के दौरान ही आरएसएस का काम भी करते थे। स्कूल में टीचर रहने के दौरान ही 1975 में इमरजेंसी लगी तो कई दिन अंउरग्राउंड रहकर भी काम किया, इमरजेंसी में जेल भी गए। गुलाबचंद कटारिया का जन्म 13 अक्टूबर 1944 को राजसमंद के देलवाड़ा में हुआ था। कटारिया ने एमए, बीएड और एलएलबी तक पढ़ाई की है। उनकी पांच बेटियां हैं। हायर एजुकेशन के बाद वे उदयपुर में प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगे थे। कॉलेज के समय में आरएसएस से जुड़ गए। कटारिया जनसंघ के दिग्गज नेता सुंदरसिंह भंडारी और भानुकुमार शास्त्री के साथ काम करने लगे थे। कटारिया 1993 से लगातार विधायक हैं। उदयपुर विधानसभा सीट से 2003 से 2018 तक लगातार चार बार चुनाव जीते। 1993 में भी उदयपुर शहर से विधानसभा चुनाव जीते थे। 1998 में भी कटारिया ने विधानसभा चुनाव जीता था, मगर तब वे बड़ी सादड़ी सीट से चुनाव लड़े थे।
कटारिया सीधी और सपाट बोलने वाले नेता हैं। मेवाड़ में भाजपा के पास कटारिया का कोई मजबूत विकल्प फिलहाल नजर नहीं आता। ऐसे में आगामी चुनावों में पार्टी को नुकसान संबंधी सवाल पर कटारिया बोले-‘मैं सोचता हूं कि बीजेपी में व्यक्ति पर आधारित कुछ नहीं होता है। बीजेपी का संगठन नीचे तक बहुत सशक्त है, अब वह कमी नहीं है कि किसी के जाने से असर पड़े। हमारा हर कार्यकर्ता मजबूत है, जिसे जिम्मेदारी मिलती है, उसे पूरी करता है। यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है इसके कारण से एक के बाद दूसरा अपनी जिम्मेदारी निभाता है। कटारिया की दक्षिणी राजस्थान पर जबरदस्त पकड़ है। उदयपुर के साथ-साथ बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, राजसमंद जैसे जिलों की लगभग 25 सीटों को कटारिया प्रभावित करते रहे हैं। कटारिया के प्रभाव का ही असर था कि 2018 में सत्ता गंवाने के बावजूद उदयपुर संभाग में 28 में से 15 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। वहीं, उदयपुर जिले की 8 में से 6 सीटों पर बीजेपी काबिज हुई थी। इनमें से खुद कटारिया की उदयपुर शहर सीट भी शामिल थी।