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करात आम जन से मुखातिब होकर बोलीं-‘जब वोट देने जाएं तो 2020 का 25 नवंबर याद रखें। कृषि कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन आज भी हर भारतीय के जेहन में जिंदा है। आज भी देश का किसान परेशान है। उन्हें उपज का सही मोल नहीं मिल रहा वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। पूंजीवादी की सरकार ने पूंजीपतियों को हजारों करोड़ की लूट की छूट दे रखी हैं। जबकि देश के किसानों का लगातार सरकार की गलत नीतियों के कारण शोषण हो रहा हैं। पूंजीपतियों के साथ केन्द्र सरकार गठजोड़ करके देश कि किसानी को खत्म करने पर तुली हैं। मगर देश के किसानों की एकता ने मोदी सरकार को घुटनों के बल ला दिया।’
मोदी सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में पूंजीपतियों की लूट के कारण गरीब और गरीब होता जा रहा है। किसानों की फसल बीमा का प्रीमियम तो टाइम से कट जाता है। लेकिन जब फसल खराबा होता है तो बीमा कम्पनी नये-नये नियम व बहाने बनाकर किसानों का बीमा क्लेम डकार जाती हैं। सरकार ने अपनी चेहती कम्पनियों को बीमा के नाम पर करोड़ों रुपये दिये हैं।
वृंदा करात ने कहा कि बीमा कंपनियों ने अन्य राज्यों की तरह राजस्थान को लूटना चाहा। लेकिन किसान सभा ने किसानों के हक के लिए आगे आकर बीमा कम्पनियों को धूल चटाई। इसी के कारण बीमा क्लेम कम्पनियों को बांटना पड़ा।
इस मौके पर माकपा के बलराम शर्मा, पार्षद इरफान रावण, आरीफ रावण, माकपा सचिव सुरेश स्वामी, रिद्धकरण कस्वां, पंस सदस्य सरजीत बेनीवाल, राजेश डूडी, रणवीर खिंची सहित अनेक नेताओं ने संबोधित किया। इसके बाद मुख्य मार्गों से रैली निकाली गई।