भटनेर पोस्ट डॉट कॉम.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लक्ष्यराज सिंह ने कहाकि उनके पितामह की राजनीतिक हस्तियों से अच्छे संपर्क थे। भले वे सरदार वल्लभ भाई पटेल हों या इंदिरा गांधी या अटलबिहारी वाजपेयी। विश्व हिंदू परिषद के नेताओं के साथ भी उनका आत्मीय संबंध रहा। राजनीति भी सेवा का माध्यम है। हम तो वैसे भी सेवा कर रहे हैं।
बताया जा रहा है कि खुद गहलोत ने भी लक्ष्यराज को ऑफर किया और जबकि बीजेपी लंबे अरसे से उन पर ‘डोरे’ डाल रही है।
बीजेपी की दिक्कत यह है कि मेवाड़ के बड़े नेता रहे गुलाबचंद कटारिया को सक्रिय राजनीति से अलग कर दिया गया है, उन्हें असम का राज्यपाल बना दिया है, ऐसे में मेवाड़ में बीजेपी के पास अब कटारिया जैसा प्रभावी चेहरा नहीं रह गया। इसलिए बीजेपी चाहती है कि लक्ष्यराज सिंह इसकी भरपाई करने में सक्षम हो सकते हैं। राजघराने से ताल्लुक रखने के बावजूद लक्ष्यराज आम जन से संपर्क रखते हैं। उनका अंदाज आम जन को प्रभावित करता है। यही वजह है कि दोनों ही पार्टियां लक्ष्यराज का स्वागत करने के लिए आतुर दिखाई देती हैं। सवाल फिर भी वही है, क्या लक्ष्यराज सिंह सचमुच राजनीति में कदम रखने वाले हैं ? काबिलेगौर है, लक्ष्यराज सिंह महाराणा प्रताप के वंशज हैं। लक्ष्यराज के दादा महाराणा भूपाल सिंह की लोकप्रियता बेमिसाल रही है। लक्ष्यराज के पिता अरविंद सिंह मेवाड़ भी लोगों में बेहद लोकप्रिय हैं।