भटनेर पोस्ट न्यूज. जयपुर.
राइट टू हेल्थ बिल के नियमों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आंदोलन के रास्ते पर है। आईएमए जहां संघर्ष तेज करने पर उतारू है वहीं राज्य सरकार सख्ती बरतने के मूड में है। आईएमए के साथ निजी चिकित्सकों की ऑनलाइन मैराथन बैठक हुई, जिसमें राज्य सरकार पर चौतरफा दबाव बनाने की रणनीति तय की गई। उनका कहना है कि सरकार जब तक आरटीएच पर डॉक्टरों के साथ बैठक कर कोई समाधान नहीं निकालेगी तब तक निजी चिकित्सालय पूरी तरह बंद रहेंगे। डॉक्टरों ने 9 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है जो आंदोलन में एकजुटता बनाए रखेगी और सरकार के किसी भी दबाव का मुकाबला करने के लिए यही कमेटी लगातार रणनीति बनाएगी। चर्चा में नर्सिंग, फार्मेसी, डेंटल, फिजियोथैरेपी, हौम्योपैथी और आयुर्वेद से जुड़े संगठनों को भी साथ लेने का संकल्प लिया गया है। आंदोलनकारियों का कहना था कि सरकार प्रदेश में इस कानून के जरिए निजी अस्पतालों पर इंस्पेक्टर राज लागू करना चाहती है। गन प्वाइंट पर चिकित्सक आखिर कैसे इलाज कर पायेगा। चिकित्सकों को कहीं अपील का अधिकार ही नहीं रहेगा तो वो कैसे अपने अधिकारों की रक्षा कर पाएंगे। उधर, सरकार और निजी चिकित्सकों के बीच टकराव के हालात जारी हैं। निजी अस्पतालों के दरवाजे मरीजों के लिए बंद है, तो रेजीडेंटस के आंदोलन का हिस्सा बन जाने से चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह चरमरा रही हैं। इमरजेंसी मरीजों को ही सरकारी अस्पतालों में इलाज मिल रहा है, मगर रूटीन ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं। माना जा रहा है कि अगर आंदोलन लंबा चला तो फिर सरकार डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठा सकती है।