भटनेर पोस्ट पॉलिटिकल डेस्क.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उदयपुर दौरे ने बीजेपी की अंदरुनी राजनीतिक कलह की कलई खोल दी। अमित शाह अपने परिचित लहजे में बोले। सीएम अशोक गहलोत को भी टार्गेट किया। अलबत्ता, गहलोत ने ट्वीट कर शाह को संवैधानिक पद की मर्यादा में रहने की नसीहत दे दी। लेकिन सियासी गलियारे में इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई क्योंकि माहौल चुनाव का है और खुद अमित शाह कार्यकर्ताओं से कहते सुने गए हैं कि झूठ बोलो और बार-बार बोलो। इसलिए सियासी पंडित शाह के भाषण और उनकी शब्दावली पर ज्यादा गौर नहीं करते। हां, अमित शाह के दौरे के बहाने पूर्व सीएम वसुंधराराजे जरूर चर्चा में आ चुकी हैं।
दरअसल, मंच पर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का भाषण हुआ और उसके तत्काल बाद नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने माइक थामते हुए गृह मंत्री अमित शाह को संबोधन के लिए आमंत्रित किया। अमित शाह ने पहले वसुंधराराजे का भाषण करवाने को कहा। उन्होंने राजे से मुखातिब होकर कहाकि आप अपना संबोधन दीजिए। इस दौरान उन्होंने राजे के प्रति बेहद आत्मीयता दिखाई। हाथ भी जोड़े। शाह का आग्रह राजे टाल न सकी। उन्होंने भी मुस्कुराते हुए हाथ जोड़े और माइक स्टैण्ड की तरफ कदम बढ़ा दिया।
उधर, खुसर-फुसर इस बात को लेकर शुरू हो गई कि आखिर प्रदेश नेतृत्व राजे का भाषण क्यों नहीं करवाना चाहता है ? दूसरा सवाल भी कम रोचक नहीं कि आखिर केंद्रीय नेतृत्व अब धीरे-धीरे राजे को महत्व क्यों देने लगा है ? राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि तमाम सर्वे रिपोर्ट बीजेपी को बेचैन करने लगी है जिसमें राजे के बगैर चुनावी रण का मुकाबला मुश्किल बताया जा रहा है। तो क्या, केंद्रीय नेतृत्व सत्ता के लिए राजे के सामने नतमस्तक होने का अभ्यास कर रहा है ?