दोनों ही रामभक्त, फिर क्यों आमने-सामने ?

भटनेर पोस्ट ब्यूरो. हनुमानगढ़.
टाउन में दीनदयाल चौक के पास बेशकीमती भूखंड पर मालिकाना हक जता रहे दो पक्ष आमने-सामने हैं। एक पक्ष डॉ. केशवराव बलीराम हेडगेवार की टीम यानी आरएसएस का है तो दूसरी टीम रामभक्तों की है जिसके समर्थक सर्वाेदय भवन श्रीराम चरित मानस समिति से जुड़े हुए हैं। जहां तक मूल जगह के स्वामित्व की बात है तो इस भवन को सर्वोदय भवन के तौर पर ही जाना जाता है। यह दीगर बात है कि वर्ष 1973 में भारत कुमार राजवंशी नामक व्यक्ति ने 44 गुना 36 फुट जमीन मय कच्चे मकानात सर्वोदय मंडल श्रीगंगानगर को दान कर दिए थे। उस वक्त यहां पर सर्वोदय मंडल की गतिविधियां चलती थीं। पुस्तकालय होने की बात भी कही जाती है। दरअसल, तीन सर्वोदय कार्यकर्ता क्रमशः भारत कुमार राजवंशी, मुरलीधर मुण्डेवाला व रामचंद्र मक्कासर इन गतिविधियों का संचालन करते थे। जानकार बताते हैं, कुछ समय तक यहां पर एकलव्य आश्रम का भी संचालन हुआ। बाद में आश्रम को रेलवे लाइन के पास शिफ्ट किया गया। यहां तक स्थिति साफ है।
जानकारों के मुताबिक, सर्वोदय मंडल का काम ठप होने के बाद मुरलीधर मुण्डेवाला ने इसे मंदिर में तब्दील कर दिया। एक कमरे में हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की गई। लोग पूजा-पाठ करने आने लगे। भजन कीर्तन होने लगे। बाद में सर्वाेदय भवन श्रीराम चरित मानस समिति पूजन और भजन कीर्तन का संचालन करने लगी। पिछले 23 साल पहले समिति से जुड़े शिक्षक भूपेंद्र कौशिक ‘भटनेर पोस्ट’ को बताते हैं कि कोरोना काल के बाद आरएसएस के कुछ लोग आए और उन्होंने कहाकि कुछ बच्चों को यहां पर रखने की व्यवस्था हो जाए तो ठीक रहेगा। समिति से जुड़े लोगों ने बच्चों के नाम पर हामी भर दी। कौशिक के मुताबिक, संघ वालों के मन में पाप आ गया और उन्होंने सेवा भारती के नाम से बिजली कनेक्शन करवा लिया। इस तरह जब दो बिल आए तो उनका माथा घूम गया। वे समझ गए कि स्वयंसेवकों की इस भूमि पर नजर है। यहीं से विरोध शुरू हो गया। भजन-कीतर्न करने वालों ने संस्था रजिस्टर्ड करवाकर इस भूमि का विधिवत पट्टा बनवाने के लिए आवेदन किया तो आरएसएस ने जनप्रतिनिधियों की ताकत दिखाकर विरोध कर दिया।
सेवा भारती प्रतिनिधियों की अनुमति से भजन-कीर्तन: ऐरी


दूसरी ओर, आरएसएस से जुड़े भाजपा नेता प्रदीप ऐरी उपरोक्त बातों से इत्तेफाक नहीं रखते। प्रदीप ऐरी ‘भटनेर पोस्ट’ से कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं। सेवा भारती की गतिविधियां ही यहां पर संचालित होती रही हैं। कुछ लोग यहां पर नियमित रूप से कुछ देर भजन-कीर्तन करने की अनुमति लेने आए तो उन्हें सहर्ष हामी भर दी गई क्योंकि संघ भी सनातन धर्म को बढ़ाने का ही काम करता है। अब सर्वाेदय भवन श्रीराम चरित मानस समिति का पंजीयन करवाया गया और भवन पर कब्जा करने की रणनीति बनाई जा रही। ऐरी इस भवन पर सेवा भारती का कब्जा होने का दावा करते हैं।
यह है स्थिति


पूरे मामले में देखा जाए तो दोनों पक्षों के पास इस भूमि या भवन के मालिकाना हक साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। एकमात्र प्रमाण शिलालेख है जिस पर सर्वोदय भवन को दान देने की बात अंकित है। चूंकि सर्वोदय मंडल अस्तित्व में नहीं है तो फिर बाकी किसी संस्था के अधिपत्य की बात बेमानी है। 

वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी ‘भटनेर पोस्ट’ से कहते हैं, ‘दोनों दावेदारों के पास कब्जा से संबंधित क्या दस्तावेज हैं, मुझे नहीं पता। हां, शिलालेख में भूमि मय मकानात सर्वोदय मंडल को दान में देने का जिक्र है। दान के लिए भी नियम है। इसके लिए संस्था का रजिस्टर्ड होना जरूरी है। दूसरा पहलू है, अधिपत्य के आधार पर निर्णय। संबंधित कब्जाधारी से बेहतर व्यक्ति अथवा संस्था ही उसे निष्कासित करने में समर्थ है।’

एडवोकेट शंकर सोनी के मुताबिक, भूखंड के लिए विवाद उचित नहीं। दोनों पक्षों को मिल बैठकर खुद निर्णय करना चाहिए। काबिलेगौर है कि सेवा भारती आरएसएस से संबद्ध संस्था है और सर्वोदय मंडल श्री राम चरित मानस समिति भी हिंदुत्व का प्रतिनिधित्व करती है। दोनों ही रामभक्तों का दल है। ऐसे में भूखंड के लिए तनाप पैदा करने की स्थिति उचित नहीं। वरिष्ठ अधिवक्ता शंकर सोनी की बात सटीक है कि ऐसे विवादों का हल मिल बैठकर किया जाना ही श्रेयस्कर रहेगा। 

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