एक रिटायर्ड कर्मचारी के सामने झुक गया एसबीआई बैंक प्रबंधन

भटनेर पोस्ट न्यूज. हनुमानगढ़.
हक की लड़ाई हो या स्वाभिमान को बचाए रखने की। तरीका गांधीवादी ही बेहतर है। अगर आपकी इच्छाशक्ति मजबूत है, मांग को लेकर अडिग आत्मविश्वास है तो फिर आपको भीड़ की जरूरत नहीं। गांधीवादी तरीका आपको न्याय दिलाएगा। अगर आपको इस बात पर यकीन न हो तो फिर हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय पर सेक्टर 6 निवासी जैनेंद्र कुमार झाम्ब यानी जेके झाम्ब से मिल लीजिए। वे इस तथ्य की पुष्टि कर देंगे। जी हां, जेके झाम्ब के साथ भी कुछ गलत हुआ। उन्हांंने 37 साल तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी एसबीआई में अपनी सेवाएं दीं। जब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली तो बैंक प्रबंधन का रवैया असहयोगपूर्ण था। तमाम बाधाओं के बावजूद जेके झाम्ब अपने अधिकार हासिल करते रहे लेकिन एक अदद पत्र के लिए प्रबंधन तैयार न था। पत्र मतलब सेवानिवृत्ति के पश्चात औपचारिक ‘सराहना पत्र’।

जेके झाम्ब कहते हैं, ‘बात स्वाभिमान पर आकर टिक गई थी। जिस बैंक में सेवा करते 37 साल गुजार दिए और सराहना पत्र न मिले तो आत्मा कचोटने लगी। उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा लेकिन कोई सुनवाई नहीं। आखिरकार, बैंक शाखा के सामने क्रमिक धरना लगाने का निर्णय किया। रोजाना वर्किंग ऑवर में जाना और फिर निर्धारित समय पर घर लौट आना। यही दिनचर्या थी।’
गौरतलब है कि इस दौरान बार संघ, नागरिक सुरक्षा मंच और सूचना का अधिकार जागृति मंच जैसे संगठनों ने सहयोग किया। आखिरकार बैंक प्रबंधन को बात समझ में आई, वह झुका और एजीएम कार्यालय में उनको सराहना पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक अध्यक्ष एडवोकेट शंकर सोनी, बार संघ अध्यक्ष जितेंद्र सारस्वत और सूचना का अधिकार जागृति मंच के संस्थापक अध्यक्ष प्रवीण मेहन आदि ने संतोष जताया और कहाकि बैंक प्रबंधन को इस घटना से सीख लेनी चाहिए।

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